योजना पद्धति और भाषा शिक्षण (Planning Methodology and Language Teaching)
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*भाषा शिक्षण-डाल्टन पद्धति
*योजना पद्धति और भाषा शिक्षण
*ह्यूरिस्टिक पद्धति एवं भाषा शिक्षण
* विनेटका पद्धति एवं भाषा शिक्षण
*काम्प्लेक्स पद्धति और भाषा शिक्षण
*बुनियादी शिक्षा पद्धति तथा भाषा शिक्षण
*खेल पद्धति और भाषा शिक्षण
योजना पद्धति के माध्यम से विषयों को पृथक-पृथक रूप में न पढ़कर सभी विषयों को सह सम्बन्धित करके पढ़ाये जाते हैं इसलिए भाषा का भी एक पृथक विषय के रूप में शिक्षण नहीं कराया जायेगा, अन्य विषयों के समान भाषा शिक्षण भी कराया जाता है। चूंकि योजना पद्धति वार्तालाप के माध्यम प्रारम्भ होती है और भाषा शिक्षण में मौखिक रूप से शिक्षा का प्रमुख स्थान है। इस कारण इस विधि का शुभारम्भ शिक्षण से होता है।
योजना विधि भाषा शिक्षण के ज्ञान के लिए उपयोगी है। यह मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त पर आधारित है उसमें अभ्यास, तत्परता एवं प्रभाव तीनों ही नियमों की स्पष्ट झलक दृष्टिगोचर होती है। वाचन, लेखन कला का ज्ञान उचित प्रकार से होता है और मौखिक भाषा इस पद्धति के माध्यम से सुदृढ़ होती है। योजना विधि के माध्यम से बालकों को लिखने का भी प्रशिक्षण मिलता है। छात्र स्वयं लेखा जोखा आदि तैयार करते हैं, योजना का मूल्यांकन आदि भी करते हैं। इसलिए लेखन एवं आलोचना के विकास हेतु यह विधि उत्तम है। योजना की तैयारी हेतु चालक पुस्तकालय, वाचनालय, पत्र-पत्रिकाओं इत्यादि की सहायता लेता है तथा अध्ययन मनन करके आवश्यक सूचनाएँ एकत्रित करते हैं। इससे छात्रों में वाचन मनन दोनों ही शक्तियाँ विकसित होती हैं वार्तालाप के द्वारा पूर्ण अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होता है। व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ। एवं उच्चारण दोष दूर होते हैं और भाषा के व्यावहारिक प्रयोग का पूरा-पूरा अवसर मिलता है।
इससे स्पष्ट होता है कि भाषा शिक्षण योजना पद्धति के माध्यम से कुशलता पूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है। यह विधि भाषा शिक्षण में सहायक है तथा रोचकता से परिपूर्ण है। नाटक शिक्षण के लिए यह विधि सर्वाधिक उपयोगी है किन्तु भाषा की समस्त शाखाओं का विधिवत् शिक्षण इस पद्धति द्वारा सम्भव नहीं है।
योजना विधि भाषा शिक्षण के ज्ञान के लिए उपयोगी है। यह मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त पर आधारित है उसमें अभ्यास, तत्परता एवं प्रभाव तीनों ही नियमों की स्पष्ट झलक दृष्टिगोचर होती है। वाचन, लेखन कला का ज्ञान उचित प्रकार से होता है और मौखिक भाषा इस पद्धति के माध्यम से सुदृढ़ होती है। योजना विधि के माध्यम से बालकों को लिखने का भी प्रशिक्षण मिलता है। छात्र स्वयं लेखा जोखा आदि तैयार करते हैं, योजना का मूल्यांकन आदि भी करते हैं। इसलिए लेखन एवं आलोचना के विकास हेतु यह विधि उत्तम है। योजना की तैयारी हेतु चालक पुस्तकालय, वाचनालय, पत्र-पत्रिकाओं इत्यादि की सहायता लेता है तथा अध्ययन मनन करके आवश्यक सूचनाएँ एकत्रित करते हैं। इससे छात्रों में वाचन मनन दोनों ही शक्तियाँ विकसित होती हैं वार्तालाप के द्वारा पूर्ण अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास होता है। व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ। एवं उच्चारण दोष दूर होते हैं और भाषा के व्यावहारिक प्रयोग का पूरा-पूरा अवसर मिलता है।
इससे स्पष्ट होता है कि भाषा शिक्षण योजना पद्धति के माध्यम से कुशलता पूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है। यह विधि भाषा शिक्षण में सहायक है तथा रोचकता से परिपूर्ण है। नाटक शिक्षण के लिए यह विधि सर्वाधिक उपयोगी है किन्तु भाषा की समस्त शाखाओं का विधिवत् शिक्षण इस पद्धति द्वारा सम्भव नहीं है।
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