मुदलियार आयोग 1952
स्वतंत्रा प्राप्ति के बाद सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों तीव्र गति से प्रतिवर्तन होने के कारण उसमे समन्वय स्थापित करने के लिए माध्यमिक शिक्षा के पुनर्गठन को आवश्यक समझा गया | अतः 1948 में केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने माध्यमिक शिक्षा की जांच करने की प्रस्ताव सरकार के सम्मुख रखा। 1951 में बोर्ड ने पुनः इस भाग को दोहराया और कहा की बालक जो माध्यमिक शिक्षा पर ही अपनी भावी की रूप रेखा तैयार करता है। उस ओर ध्यान नही दिया जाता है। अतः भारत सरकार ने इस सुझाव को मानते हुए 25 सितंबर 1952 को मद्रास विश्वविद्यालय के उप कुलपति अध्यक्षता में 10 सदस्यीय आयोग का गठन किया गया |
भारत सरकार ने 23 सितम्बर 1952 को डॉ॰ लक्ष्मणस्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में "माध्यमिक शिक्षा आयोग" की स्थापना की उन्ही के नाम पर इसे मुदालियर कमीशन कहा गया।
मुदलियार आयोग ने माध्यमिक शिक्षा से संबंधित प्रशवाली तैयार कर उसे शिक्षा विशेषज्ञ अध्यापकों और शिक्षण संस्थाओं के पास बेच कर उसमे जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त्त आयोग के सदस्यों ने राज्यों का भ्रमण कर माध्यमिक शिक्षा के समस्याओं को जानने का प्रयास किया 14 अध्यायों में 244 पृष्ठों का प्रतिवेदन 29 अगस्त 1953 को भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किया।
01. शिक्षा के दो भाग होना चाहिए माध्यमिक शिक्षा के ढाँचे में सुधार के लिए डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में सन् 1952 में “माध्यमिक शिक्षा आयोग” की स्थापना की गयी.
02. पाठ्यचर्चा में विविधता लाने, एक मध्यवर्ती स्तर जोड़ने, त्रिस्तरीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने इत्यादि की सिफारिश की.
03. वस्तुनिष्ठ (MCQ) परीक्षण-पद्धति को अपनाया जाए.
04. संख्यात्मक अंक देने के बजाय सांकेतिक अंक दिया जाए.
05. उच्च तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में एक core subject रहे जो अनिवार्य रहे जैसे—गणित, सामान्य ज्ञान, कला, संगीत etc.
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माध्यमिक शिक्षा आयोग की सिफारिश निम्नलिखित हैं -
मुदलियार आयोग ने माध्यमिक शिक्षा से संबंधित प्रशवाली तैयार कर उसे शिक्षा विशेषज्ञ अध्यापकों और शिक्षण संस्थाओं के पास बेच कर उसमे जानकारी प्राप्त की। इसके अतिरिक्त्त आयोग के सदस्यों ने राज्यों का भ्रमण कर माध्यमिक शिक्षा के समस्याओं को जानने का प्रयास किया 14 अध्यायों में 244 पृष्ठों का प्रतिवेदन 29 अगस्त 1953 को भारत सरकार के सम्मुख प्रस्तुत किया।
01. शिक्षा के दो भाग होना चाहिए माध्यमिक शिक्षा के ढाँचे में सुधार के लिए डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में सन् 1952 में “माध्यमिक शिक्षा आयोग” की स्थापना की गयी.
02. पाठ्यचर्चा में विविधता लाने, एक मध्यवर्ती स्तर जोड़ने, त्रिस्तरीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने इत्यादि की सिफारिश की.
03. वस्तुनिष्ठ (MCQ) परीक्षण-पद्धति को अपनाया जाए.
04. संख्यात्मक अंक देने के बजाय सांकेतिक अंक दिया जाए.
05. उच्च तथा उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा के पाठ्यक्रम में एक core subject रहे जो अनिवार्य रहे जैसे—गणित, सामान्य ज्ञान, कला, संगीत etc.
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