मानव
*मेरे सभी शुभचिंतक*
मन आज कुछ लिखने को करता हैं मरे प्यारे *पथ प्रदर्शक*
आज हमे ये अनुभव हुआ कि, इस मोह भरी संसार मे दो तरह के लोग होते हैं।
एक जो बनाते हैं दूसरा बिगड़ते हैं।
मेरी उम्र आप सब से बहुत कम हैं लेकिन जो मैंने इस छोटी उम्र में अनुभव किया उसके अनुसार इसकी वकालत बखूबी से कर सकता।
ये मैं खूब जनता हूँ कि जो बनाने वाले होते हैं वो बनाते-बनाते खुद भी आलीशान बन जाते, लेकिन ठीक इसी के विपरीत जो बिगाड़ने वाले होते हैं वो खुद एक वीरान सी खंडर हो जाते हैं।
हम किसी के दिल को आघात नहीं करना चाहते, बस अपनी दिल की बात बताने की कोशिस की हैं क्योंकि कुछ ऐसी स्थिति जो मेरे मन को भी भ्रम में डाल रहा था। लेकिन जो सत्य है वो सत्य ही रहेगा।
क्योंकि आप सभी जो मेरे साथ हैं।
मैं सिर्फ अपने सुख में आप सभी का साथ चाहते हैं दुःख में तो आपकी दुआ ही काफ़ी हैं।
आप सब सोंच रहे होंगे कि आज ये ऐसा क्यों लिख रहा, तो मैं बता दूं कि कोई जब खास किसी के जिंदगी में आ जाये या वो खास उसकी जिंदगी से रूठ जाए लिकिन समय सत्य को सामने ला देता हैं, और वो जरूर सत्य का ही साथ देता हैं।
आप सभी को इस नादान की तरफ से कोटि कोटि प्रणाम, और छोटे को ढ़ेर सारा प्यार।
कलम:-अभिषेक सिंह
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