एक किसान
यह एक किसान है और वह खेत से काम कर के आता है, और खाना माँगता है। उसकी पत्नी घर में नहीं रहती है, और उसका बेटा पप्पू ही खाना देता हैं, और पानी नही देता है। फिर से वह पानी माँगता हैं, और पप्पू पानी देकर पढ़ने लगता है।
तभी वह किसान उसको पकड़ कर काम करने के लिए खेत पर ले जाने लगता हैं। तभी डाकिया आता हैं, और किसान को चिट्ठी दे कर चला जाता हैं।
तब किसान सोंचने लगता है कि इस चिट्ठी में क्या हैं। तभी उधर से एक बिजनेसमैन आता हैं, तो वह उसे चिठ्ठी को पढ़ने को कहता हैं। लेकिन वह कुछ देर रुकता हैं, इतने में उसका फोन आ जाता है और वह चला जाता है।
किसान फिर सोंचने लगता हैं, तभी एक दिल्ली रहने वाला व्यक्ति आता है। फिर उसको भी चिठ्ठी पड़ने को बोलता हैं और वह भी कुछ देर के बाद चला जाता है।
फिर नेता रास्ते से जा रहा होता हैं, फिर किसान उसे भी कहता हैं, चिठ्ठी पढ़ दें, तो नेता भी कुछ बहाना बना के चला जाता हैं।
किसान चिंतित हो कर बैठ जाता हैं।
10 दिन के बाद फिर से डाकिया आता हैं, डाकिया जल्दी में रहता हैं। फिर किसान को चिठ्ठी दे कर जाने लगता हैं। तो वह किसान पैर पकड़ कर डाकिया को बोलता है कि वो उस चिठ्ठी को पढ़ दें। तो डाकिया चिठ्ठी पढ़ देता हैं।
उस चिठ्ठी में उसकी सास की मृत्यु की खबर रहता हैं, और वह अपने ससुराल सही समय पर नहीं पहुँच पाता हैं, इसकी वजह से उसके ससुर गुस्से में कई अनर्गल बातें लिख देता हैं।
तब किसान अपने बेटा को पढ़ाने के लिए के उत्साहित होकर अपने बेटे को स्कूल में दाखिला दिलाने चला जाता हैं।
इस छोटी से नाटक से यह
सिख मिलती हैं कि कोई भी व्यक्ति
अपने बच्चों को पढ़ने से नहीं रोकें।
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