नारि सशक्तिकरण
नारि सशक्तिकरण के बारे में
बुझै से पहिने हमरा ई बुईझ लेबाक चाहि कि सशक्तिकरण सँ कि तात्पर्य थिक। इ शब्दक तात्पर्य थिक कि कोनो वक्ति कें उ क्षमता सँ हैं, जेकरा में कोनो काज कर्बाक निर्नय स्वयं ल सकें। नरि
सशक्तिकरण में हमहुँ एहे क्षमता प बात करब। जतअ महिला परिवार आ समाज केन सब बंधन सँ
मुक्त भ क अपन विचर पर निर्नय स्वंय ल सकी।
अपन नीज स्वधीनता आ स्वंय के फैसला लेबाक लेल महिला कें
अधिकर दि, इहे महिला सशक्तिकरण थिक । परिवार आ समाज कें हद कें सब पहलु
सँ महिला कें अधिकार दी कि ओ स्वतंत्र भ
सकय।
भारतक संविधन
कें प्रवधानक अनुशार, पुरुष जका सब क्षेत्र में महिला कें समान अधिकार देबाक लेल
कानुन थिक । हमरा देश में महिला आ बुची सभँक लेल विशेष अधिकारक कनुन थिक। इकरा लेल
भारत सरकार एक मंत्रालय कें गठन कैनें थिक । जेकर नाम थिक “महिला और बाल विकास
विभाग” इ विभाग इ विषयक सँ लागल काज करय थिक । प्राचिन काल सँ भारत में नारी कें
अग्रणि भूमिका में छेलय । बसरते उनका सब क्षेत्र में हस्तेक्षेप कें अधिकार नै छल
।
विकासक मुख्य उदेश्य थिक महिला कें साम्रथ बनाबी, ओकरा
बाद कोनो देश अपन विकास क सकय थिक । ओ एना की जाही परिवार में महिला साम्रथ थिक, ओई परिवरक सम्पन्नता देखतै बनई थिक|
हमर भारत सरकार सब दिन सँ महिलाक विकास पर जोर दैयत रहै थिक
। इहे लेल नाना प्रकारक योजना कें नियोजित करय थिक । महिला सशक्तिकरण कें जरुरत इ
लेल छेलै कि प्राचिन काल सँ भारत में लैंगिक समानता नइ छेलै । आ पुरुष प्रधान समाज
छल, ताहि कारन सँ आई हमर देशक महिला में सशक्तिकरणक जरुरत भेल । बहुतों
प्रकारक कुरीत छल जेना, बाल-विवाह,
विधवा-विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा आ
कतें गिनाउ बहुतो एहन कुरीति छल जेकरा सोंचि क रोआँ खाड़ भ जाईत थिक ।
इ सब समस्याँक समाधानक लेल भारत सरकार, पारिश्र्मिक
एक्ट १९७६, दहेज रोक अधिनियम १९६१, अनैतिक
व्यपार रोकथाम अधिनियम १९५६, मेडिकल टम्नेर्श्न ऑफ प्रेग्नेसि
एक्ट १९८७, बाल विवाह रोकथाम एक्ट २००६, लिंग परिक्षण एक्ट १९९४, महिलाओं का यौन शोषण एक्ट २०१३
कानुनक प्रवधान कैने थिक ।
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