इस सीरीज को देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 👇

      

 Latest Podcast Discussion

Click to this Banner for Listen


 

Language

Saturday, June 8, 2019

ज़िंदगी एक भ्रम

ज़िंदगी एक भ्रम



Mr. Sumit Karn

ज़िंदगी कई भ्रमों का होना और उन भ्रमों का टूटना है । साइंस का विद्यार्थी होते हुए भी एक बचपन से फ़ोर्मुला से नफ़रत थी । सब कुछ फ़ोर्मुला नहीं हो सकता - यही सोच ज़िंदगी हर एक इंच आगे बढ़ते रही ।

कई बार ऐसा हुआ की जब मंज़िल पर पहुँचा तो पाया की यह सफ़र भी एक फ़ोर्मुला है । लेकिन मैंने कभी भी शुरुआत फ़ोर्मुला को ध्यान रख नहीं किया । फ़िज़िक्स के प्रॉब्लम को सॉल्व किया तो इस लिए नहीं किया की - कोई परीक्षा मुझे पास करना - इसलिए किया की जिस क्षण फ़िज़िक्स के प्रॉब्लम को सॉल्व किया उस वक़्त मेरी अंतरात्मा को ख़ुशी हुई ।
यह महज़ एक उदाहरण दिया हूँ ।

सबसे बड़ी त्रासदी यह रही कि - मानव स्वभाव की प्रतिक्रिया को भी एक फ़ोर्मुला के अंदर देखा । यह ज्ञान मेरे लिए वीभत्स था । इस नए ज्ञान ने अंदर तक झकझोर दिया ।


ज़िंदगी दो फ़िलोस्फी पर चल ही नहीं सकती - यह अपने आप में सबसे बड़ा सत्य है । या तो आप फ़ोर्मुला अपना कर आगे बढ़े या फिर उसी ढंग में जिए जिस ढंग में आजतक जीते आए हैं - बग़ैर फ़ोर्मुला के - कष्ट है लेकिन आत्मा को तसल्ली है ।

लेकिन मैं यह भी नहीं कह सकता की जो फ़ोर्मुला के साथ जीते हैं - उनके आत्मा को तसल्ली नहीं मिलती है - उनकी आत्मा को भी तसल्ली मिलती होगी - लेकिन वैसा करने से मेरी आत्मा को तसल्ली नहीं मिलेगी ।

No comments:

Post a Comment

"Attention viewers: Kindly note that any comments made here are subject to community guidelines and moderation. Let's keep the conversation respectful and constructive. Do not add any link in comments. We are also Reviewing all comments for Publishing. Thank you for your cooperation!"

POPULAR TOPIC

LATEST VIDEO