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Thursday, April 25, 2024

Disciplinary, Courses and Syllabus (अध्ययन क्षेत्र, पाठ्यक्रम और पाठ्य विवरण) Understanding Discipline And Subjects

अध्ययन क्षेत्र, पाठ्यक्रम और पाठ्य विवरण
Understanding Discipline And Subjects:- Disciplinary, Courses and Syllabus


अध्ययन क्षेत्र(Disciplinary)

यहाँ पर अध्ययन क्षेत्र से तात्पर्य विद्यालयी अध्ययन से न होकर विषय के अध्ययन क्षेत्र से है | इसमें ऐसी विषय वस्तु का अध्ययन किया जाता है जो कि उस अध्ययन विषय के क्षेत्र के अंतर्गत आती है। जिस किसी विषय का एक स्वतंत्र संकाय या विभाग होता है तो उसकी स्वयं की प्रकृति होती है, उसकी स्वयं की विषयवस्तु व पाठ्यक्रम होता है, उसकी स्वयं की शिक्षण विधियाँ होती है वही विषय अनुशासित कहलाता है | किसी अध्ययन क्षेत्र के दो पक्ष होते है- सैद्धांतिक पक्ष तथा व्यावहारिक पक्ष | सैद्धांतिक पक्ष में विषय के तथ्यों, नियमों एवं सिद्धांतों का विश्लेषण किया जाता है जबकि व्यावहारिक पक्ष में विषय की शिक्षण विधियों का प्रयोग, अनुसन्धान क्षेत्र व पाठ्यक्रम आदि का अध्ययन मानव व्यवहार को ध्यान में रखते हुए किया जाता है | प्रत्येक अध्ययन क्षेत्र की अपनी स्वंय की पाठ्यवस्तु, पाठ्यक्रम, सिद्धांत, अनुसन्धान विधि आदि से सम्बंधित मूल प्रश्न होते हैं, जो उस अध्ययन की नींव होते हैं।


पाठ्यक्रम(Courses)

पाठ्यक्रम एक काफी विषद तथा व्यापक सं प्रत्यय है किसी भी विषय के पाठ्यक्रम में कक्षा में पढाई गई पाठ्य सामग्री या दिए जाने वाले अनुभव के अतिरिक्त, उस विषय विशेष के शिक्षण से सम्बंधित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विद्यालय की देखरेख में किए जाने वाले समस्त प्रयत्नों तथा प्रदान किये जाने वाले सभी अनुभव समाहित होते हैं | ये अनुभव विद्यार्थियों को निम्नलिखित स्त्रोतों से प्राप्त होते हैं -

(क) कक्षा में चल रही शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया से

(ख) कक्षा के बाहर प्रयोगशालाओं से

(ग) विभिन्न प्रकार की पाठ्यसामग्री प्रक्रियाओं से

(घ) समुदाय के साथ अन्तः क्रिया से

(ड.) टीम प्रोजेक्ट तथा भ्रमण से


पाठ्य-विवरण(Syllabus)

शिक्षा के रूप में विषयों का किसी कक्षा विशेष के लिए निर्धारित पाठ्य-विवरण उस कक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम का अंश मात्र ही होता है। यह एक योजनाबद्ध गतिविधियों का समूह समझा जाता है जिसकी रचना कुछ खास शैक्षिक उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए होती है। उद्देश्यों का एक ऐसा समूह जिसमें शामिल हैं विषयवस्तु के लिहाज से क्या पढ़ाया जाये और ज्ञान, कौशल एवं अभिवृत्ति जिन्हें खासतौर से बढ़ावा मिले, विषयवस्तु को चुनने के आधार के कथन एवं तरीकों का चुनाव, सामग्री एवं मूल्यांकन। पाठ्य-विवरण का तात्पर्य निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है -

(क) शिक्षा के विषयों को कक्षा विशेष में पढ़ने-पढ़ाने हेतु प्रकरणों से।

(ख) उनमें निहित विषय सामग्री की उसे रूपरेखा या विवरण से जिसको आधार बनाकर पाठ्यपुस्तकों की रचना की जाती है। इस प्रकार, पाठ्य-विवरण से विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के अध्ययन-अध्यापन हेतु दो कार्य सम्पन्न हो जाते हैं –

(1) विषय-विस्तार का सीमांकन,

(2) परीक्षकों के लिए परीक्षा प्रश्न पत्र बनाने हेतु उपयुक्त आधार की प्राप्ति

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